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कितने स्वार्थी हो चुके है,हम लोग जो हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान को खतरे में डालता है,हम उनकी जान बचाने का तनिक भी प्रयास नही करते हैं।


प्रस्तुत घटना क्रम अकेला ऐसा मामला नहीं है,जहां हम सैकड़ों हजारों की संख्या में खड़े हम भारतीय नपुंशक या यू कहें स्वार्थी और मतलबी मुकदर्शक बन कर तमाशा देखते रहे।।

जबकि राजधानी दिल्ली में घटी उक्त शर्मनाक घटना, मूक दर्शक बने रहने की जगह थोड़े से प्रयास से रोकी जा सकती थी..

भीड़ कर लेती साहस तो जिंदा होते जांबाज एस आई शंभूलाल दयाल

एस आई शंभूलाल दयाल जैसा साहस भीड़ में किसी ने भी नहीं दिखाया। अगर भीड़ में से किसी एक ने भी हिम्मत दिखाई होती तो शायद आज शंभूलाल आज जिंदा होते।

घटना का वीडियो देखने से पता चल रहा है कि सैकड़ों की भीड़ एक टुच्चे से अपराधी की धमकी मात्र से कायर चूहों की तरह डर गई। वहीं एस आई शंभूलाल अंतिम सांस तक अपराधी से लोहा लेते रहे। हां ये अलग बात रही कि घटना में बुरी तरह से आहत शहीद शंभू लाल अस्पताल में दम तोड़ते वक्त ये जरूर सोंचते रहे होंगे कि "मैंने तो अपना फर्ज बखूबी निभाया पर जिन लोगों की सुरक्षा के लिए मैं हथियार बंद दुर्दांत अपराधी से लड़ गया क्या उन लोगों का मेरे या मेरे जैसे दूसरे वर्दी वाले रक्षकों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए??"
मुझे लगता है कि जब तक हम जैसे लोग जिंदा रहेंगे तब तक ही देश और समाज के लोग खुद को सुरक्षित मान पाएंगे।। इसलिए इस बार न सही पर अगली बार मुझ जैसा कोई रक्षक समाज और देश के किसी दुश्मन/ अपराधी से लड़ रहा हो तो इस इस तरह उसे अकेला मत छोड़ देना।।*

प्रस्तुत घटना की 2 मिनट 5 सेकेंड की क्लिप में जो दिखा वो हमारे लिए शर्मनाक था..

4 जनवरी की उक्त घटना का पूरा वीडियो सीसीटीवी में कैद हो गया। 2 मिनट 5 सेकेंड की फुटेज में ASI शंभूलाल दयाल सफेद शर्ट पहने आरोपी को पकड़े पुलिस स्टेशन की ओर जा रहे हैं। उनके साथ भीड़ भी चल रही है। तभी शंभूलाल कुछ देर के लिए रुकते हैं और भीड़ की ओर पीछे मुड़कर देखते हैं। उसी दौरान आरोपी अनीश अपनी जेब से एक नुकीली चीज निकालता है और शंभूलाल पर पीछे से वार कर देता है। फुटेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि शंभूलाल इस वार के बाद भी अनीश से डंडे की मदद से उलझते हैं,लेकिन अनीश उन पर लगातार चाकू से 12 बार वार करता है।

चाकू का वार होता रहा सैकड़ों लोग  मूकदर्शक बने रहे

इसके बावजूद ए एस आई शंभू ने बहादुरी दिखाते हुए अनीस को पकड़े रखा और उसे जमीन पर पटक दिया।

लेकिन अनीस ने उन पर चाकू के करीब एक दर्जन वार किए। मौके पर मौजूद भीड़ ने एएसआई को बचाने की कोई कोशिश नही की। किसी ने कुछ करना भी चाहा तो उस टुच्चे आरोपी ने भीड़ की ओर चाकू लहराते हुए धमकी दी कि अगर किसी ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो वह उसे भी मार देगा। उसकी गीदड़ धमकी से कायरों की पूरी भीड़ पीछे हट गई। इसके बाद चाकू से हमला कर अनीस मौके से भाग गया। लेकिन बाद में खून से लथपथ एस आई शंभू दयाल यहीं नहीं रुके उन्होंने बहादुरी दिखाते हुए मौके पर पहुंचे अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर वापस से हत्यारे अनीस को पकड़ लिया।

गंभीर रूप से जख्मी एएसआई शंभू दयाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 8 जनवरी की सुबह उनकी मौत हो गई। वह मूलरूप से राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे,यहीं स _सम्मान उनका अंतिम संस्कार भी किया गया।।

इस तरह एक जांबाज पुलिस कर्मी हमारे बीच से चला गया। और कायरों की भीड़ वापस से अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गई। शायद शहीद शंभू की के परिवार के अलावा किसी ने अपना कुछ नही खोया।।

घटना जहां हमारी कमजोरी और स्वार्थीपन का नमूना तो पेश करती ही है,एक बात हमें और सिखाती है,कि
सही मायनों में अपराध और अपराधियों का मुकाबला करने में पुलिस/सुरक्षा कर्मी तभी कामयाब होगी जब ऐसे मौकों पर आम लोग निडर होकर उनकी मदद करेंगे.

नितिन सिन्हा
संपादक
खबर सार

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