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लैलूंगा विधान सभा चुनाव को लेकर चलते - चलते एक नजर...

पत्रकार - अशोक भगत की कलम से... 

लैलूंगा :- यह एक रोचक किवदंती कहानी से कम नही है, लैलूंगा विधान सभा आज से नही अपितु आजादी के बाद से रायगढ़ राज परिवार के एक छत्र राज याने की बहुत लंबे से अरसे से रायगढ़ राज परिवार का रायगढ़ लोक सभा सीट से लगातार सांसद का चुनाव जीतकर राज करना और फिर लैलूंगा की सक्रिय राजनीति में काफी लम्बे समय तक विधान सभा चुनाव में जीतकर अविभाजित मध्यप्रदेश शासन काल में भी कई महत्वपूर्ण पदों का निर्वहन करने जैसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं। 
किन्तु वर्तमान परिवेश में प्रजातंत्र का बोल बाला होने के कारण धीरे - धीरे आम जनता का विश्वास राज धराने के बाद स्थानीय लोगों के राजनीतिक सफर केे प्रति ज्यादा भरोसा होने लगी । जैसे कि भारतीय जनता पार्टी से दो तीन बार विधायक रहे स्वर्गीय प्रेम सिंह सिदार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विभाजन के बाद जब छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की सरकार में प्रेम सिंह सिदार एकाएक भाजपा से कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिये थे । 
जबकी 1998 में पहली बार सबसे युवा चेहरा के रूप में राजपुर के पास कुर्रा निवासी हृदय राम राठिया को कांग्रेस पार्टी से टिकिट देकर प्रेम सिंह सिदार के साथ चुवान लड़ाया गया था । जिसमें भाजपा प्रत्यासी प्रेम सिंह सिदार चुनाव जीत गये थे । जिसके पुन: बाद जब 2003-04 में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा से साफ सुथरा व स्वक्छ छवी का नया चेहरा बदलकर देखा जिसमें तमनार विकास खण्ड के रोडोपाली से सत्यानंद राठिया को चुनाव मैदान उतारा गया, जहाँ कांग्रेस पार्टी से प्रतिद्वंदी के रूप में प्रेमसिंह सिदार को टिकिट देकर चुनाव लड़ाया गया । 
जिसमें प्रेम सिंह सिदार को हार का सामना करना पड़ा । वहीं भाजपा विधायक सत्यानंद राठिया को डॉ. रमन सिंह के शासन काल में खाद्य मंत्री बनाया गया था । जिसके बाद सन् 2008 में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने पुन : दूसरी बार हृदय राम राठिया उम्मीदवार खड़ा कर चुनाव मैदान में उतारा गया । जहाँ हृदय राम राठिया ने भाजपा प्रत्यासी पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया को भारी मतों से चुनाव हरवा कर दांतों तले चने चबवा दिया था । जिससे सत्यानंद राठिया को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था । वहीं प्रखर आदिवासी वक्ता व दबंग नेता हृदय राम राठिया को वर्ष 2013 के विधान सभा चुनाव में भाजपा के नये चुनावी के तहत एक नया दांव खेलते हुए सत्यानंद राठिया की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीति राठिया को चुवाव मैदान में उतारा गया तो उधर कांग्रेस ने भी हृदय राम राठिया को चुनाव मैदान में उतारा गया था । 
 जहाँ हृदय राम राठिया को लगभग 14,000 व्होट से श्रीमती सुनीति राठिया ने पराजित कर दी थी । फिर 2018 के विधान सभा के चुनाव में भाजपा से पुन: सत्यानंद राठिया एवं कांग्रेस पार्टी से कटकलिया गाँव के गौंटिया परिवार से चक्रधर सिंह सिदार को पार्टी ने उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा गया जहाँ चक्रधर सिंह सिदार ने भाजपा प्रत्यासी सत्यानंद राठिया को लगभग 25,000 मतों से चुनाव हरा दिया । इसी बीच तत्कालीन मुख्य मंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस से बगावत कर नई पार्टी जे.सी.सी.जे. का गठन कर वर्ष 2018 के विधान सभा का चुनाव लड़ा गया । जिसमें हृदय राम राठिया ने अपने राजनैतिक गुरू मानते हुए अजीत जोगी के भावनाओं में बह गये और 2018 के चुनाव को जोगी जनता पार्टी के सिम्बाल "हल चलाता किसान छाप" में चुनाव लड़े जहाँ उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा । अंततोगत्वा हृदय राम राठिया को पुन: वर्ष 2021 में कांग्रेस पार्टी का सदस्यता लेना पड़ा है । अब यह देखना होगा कि आसन्न विधान सभा चुनाव वर्ष 2023-24 में भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक के उम्मीदवार कौन - कौन होंगे ? इसे लेकर चर्चाओं के बाजार गर्म हैं ।

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