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लैलूंगा में नेत्रदान करने हेतु स्वेच्छा से 27 लोगों के द्वारा घोषणा पत्र फार्म भरा गया !

👉 लैलूंगा से अशोक भगत की रिपोर्ट !

लैलूंगा :- राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिवर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मधुलिका सिंह ठाकुर के निर्देशन एवं खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. लखन लाल पटेल के मार्गदर्शन में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र - लैलूंगा के अंतर्गत आने वाले समस्त अधिकारी एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में लोगों में नेत्रदान करने के प्रति जन जागरूकता लाने हेतु नेत्र सहायक चिकित्सा अधिकारी प्रकाश चौधरी एवं आर. आर. डडसेना के द्वारा बताया गया कि कॉर्नियल ब्लाइंडनेस को अंधेपन के शीर्ष कारणों में से एक माना गया है, जब "कॉर्निया" (आंख का पारदर्शी ऊतक जो आँख के सामने कवर करता है) तो गंभीर कुपोषण, चोट या संक्रमण के कारण क्षतिग्रस्त या अपारदर्शी हो जाता है, जिससे कॉर्नियल ब्लाइंडनेस हो जाता है । यह अंधापन इलाज योग्य होता है जो नेत्रदान से ही संभव होता है। नेत्रदान से मिले कार्निया का प्रत्यारोपण द्वारा कॉर्नियल अंधत्वता से छुटकारा पाया जा सकता है । जिसके कारण नेत्रदान हेतु लोगों में जन जागरूकता लाना ही इसका मुख्य उद्देश्य है ।
 05 वर्ष से 60 वर्ष तक का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अपना नेत्रदान कर सकता है । नेत्रदान मृत्यु उपरांत ही हो सकता है । जिसे मृत्यु के उपरांत परिजनों की सहमति से भी किया जा सकता है । वह व्यक्ति जो पानी में डूब कर, जहर खुरानी या जलकर मरा हो या कोई गंभीर बीमारी जैसे टिटनेस, एचआईवी, एड्स, कैंसर, हेपेटाइटिस, सिफलिस, तपेदिक, लेप्रोसी जैसे बीमारियों से ग्रसित हो उनकी आंखें दान हेतु उपयुक्त नहीं मानी जाती है । एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो कॉर्नियल अंधेपन के मरीज के जिंदगी में रोशनी लाया जा सकता है । इसलिए नेत्रदान को महादान कहा गया है । उपरोक्त कार्यक्रम में 27 लोगों के द्वारा नेत्रदान करने हेतु घोषणा पत्र फॉर्म भरा गया है ।

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