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लैलूंगा जनपद के अंतर्गत टाँय - टाँय फिस्स होती शासकीय योजनाओं की आम जनता देगी जवाब...?


➡ लैलूंगा से जनपक्षीय पत्रकार अशोक भगत की बेबाक टिप्पणी...?

पंचायत टुडे न्यूज़ - लैलूंगा :- छत्तीसगढ़ सरकार के जन कल्याणकारी योजना का लाभ रायगढ़ जिले के जनपद पंचायत लैलूंगा के किसी भी ग्राम पंचायत में आम जनता को नसीब नहीं हो रहा है । वहीं आपको यह भी बता दें कि यदाकदा नहीं प्राय: सभी ग्राम पंचायत में शासन की योजनाओं का लोगों को नहीं मिल रहा लाभ, जिससे ग्रामीणों में निराशा जनक स्थिती बनी हुई है । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी, पूरी तरह से विफल होते जा रहा है । वह कैसे आईये हम आपको बताते चलें कि विकास खण्ड लैलूंगा के किसी भी गाँव में चले जाईये और किसानों से पूछिए कि क्या उनके गाँव के गौठान में गोबर की खरीदी हो रही है या नहीं ? लैलूंगा ब्लॉक के किसी भी गौठान में पिछले दो साल से गोबर खरीदी नहीं की जा रहा है ? यह योजना पिछले साल से ठप्प पड़ा हुआ है । जबकि सरकारी रिकार्डों कि हम बात करें तो कागजों में सब सही है । शासन - प्रशासन के आँखों में जनपद पंचायत लैलूंगा के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी विरेन्द्र राय के द्वारा धूल झोंकने का काम किया जा रहा है । ऐसे में सरकारी योजनाओं का क्या होगा ? जब शासकीय योजनाओं को ही अधिकारी जब बंठाधार करने लगें तो इससे बड़ा और क्या ढ़कोसले का सबूत चाहिए । वहीं आपको यह भी पता होना चाहिए कि छत्तीसगढ़ सरकार गोबर के साथ - साथ गौमूत्र भी खरीदना प्रारम्भ कर दी है । परन्तु जनपद पंचायत लैलूंगा के लगभग 75 ग्राम पंचायतों में से किसी ग्राम पंचायत में आज तक गौमूत्र खरीदी योजना का शुरूवात ही नहीं किया जा सका है ? तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार के और अन्य योजनाओं का क्या हाल कर दिये हैं शासन के नुमाइंदों ने ! हालांकि शासन - प्रशासन के आँख में धूल झोंकने का यह कुत्शित प्रयास और ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला है । क्योंकी इसी वर्ष 2023 के अंतिम तक विधान सभा के चुनाव होने हैं जिसमें क्षेत्र की आम जनता किस - किस सरकारी योजनाओं से कितना नफा और नुकसान हुआ है उसका पूरा - पूरा हिसाब - किताब करने वाली है । गौरतलब हो कि लैलूंगा जनपद पंचायत में सी.ई.ओ. के पद पर पदस्थ विरेन्द्र राय कथित तौर पर लैलूंगा के लोकप्रिय विधायक चक्रधर सिंह के रिस्तेदार कहलाते हैं । और वहीं रिस्तेदार जनपद सी.ईओ. के कार्यकाल में चक्रधर सिंह सिदार को पुन: विधान सभा चुनाव लड़ना है । तो आप समझ सकते हैं कि यह उंगली किधर को इसारा कर रही है । "जनता सब जानती है" कुर्सी में किसे बैठाना है और किसे जमीन पर पूरा दारोमदार जनता जनार्दन के हाथ में होता है । आखिर किसी को पद और प्रतिष्ठा दिला सकती है तो वह है "जनता" जनता का जनादेश अर्श से फर्स तक ! सोंच लो सरकार शासकीय योजनाओं को कैसे क्रियान्यन कराना है । साहब अब तो गेंद आपके पाले में हैं जब गेंद जनता के पाले होगा तो क्या हाल होगा ? अब यह देखना होगा कि  इस खबर के प्रकाशन के कितने दिनों बाद इस ओर ध्यान दिया जाता है । या फिर यूँ ही नजर अंदाज कर दी जाती है । खैर इसका तो "जनता" ही मालिक है...?

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